Hindi books - Novel - ELove - CH-28 रुम पार्टनर्स
Writing wasn easy to start. After I finally did it, I realized it was the most direct contact possible with the part of myself I thought I had lost, and which I constantly find new things from.
---- Virpi Hॊmeen-Anttila
एक रुममें अतूल और अलेक्स रहते थे. रुमके स्थितीसे यह जान पडता था की उन्होने रुम किराएसे ली होगी. कमरे में एक कोने में बैठकर अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर बैठकर चॅटींग कर रहा था और कमरेके बिचोबिच अलेक्स डीप्स मारता हूवा एक्सरसाईज कर रहा था. अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर दिख रहे चॅटींग विंडोमें धीरे धीरे उपर खिसक रहे चॅटींग मेसेजेस एक एक करके पढ रहा था. शायद वह चाटींगके लिए कोई अच्छा साथीदार ढूंढ रहा होगा. जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हूवा तब से ही उसे यह बहुत पसंद आया था. पहले खाली वक्तमें वक्त बितानेका गप्पे मारना इससे कारगर कोई तरीका नही होगा ऐसी उसकी सोच थी. लेकिन अब जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हुवा उसकी सोच पुरी तरह बदल गई थी. चॅटींगकी वजहसे आदमीको मिले बिना गप्पे मारना अब संभव होगया था. कुछ जान पहचानवाले तो कुछ अजनबी लोगोंसे चॅट करने में उसे बडा मजा आने लगा था. अजनबी लोगोंसे आमने सामने मिलने के बाद कैसे उन्हे पहले अपने कंफर्टेबल झोन में लाना पडता है और उसके बाद ही बातचित आगे बढ सकती है. और उसके लिए सामनेवाला कैसा है इसपर सब निर्भर करता है और उसको कंफर्टेबल झोन में लाने के लिए कभी एक घंटा तो कभी कई सारे दिनभी लग सकते है. चॅटींगपर वैसा नही होता है. कोई पहचान का हो या अजनबी बिनदास्त मेसेज भेज दो. सामनेवाले ने एंटरटेन किया तो ठीक नही तो दुसरा कोई साथी ढूंढो. अपने पास सारे विकल्प होते है. कुछ न समझनेवाले तो कुछ गाली गलोच वाले कुछ संवाद उसे चॅटींग विंडोमें उपर उपर खिसकते हूए दिखाई दे रहे थे.
तभी उसे बाकी मेसेजसे कुछ अलग मेसेज दिखा ,
'' अच्छा तुम क्या करती हो? ... मेरा मतलब पढाई या जॉब?''
किसी विवेक का मेसेज था.
वह उसका असली नामभी हो सकता था या नकली ...
'' मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है ... और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं '' विवेकके मेसेजके रिस्पॉन्सके तौरपर यह मेसेज अवतरीत हूवा था.
भेजनेवाले का नाम अंजली था.
अचानक मेसेज पढते हूए अतूलके दिमागमें एक विचार कौंधा.
इस मेसेजसे क्या मै कुछ फायदा ले सकता हूं ?...
वह मनही मन सोचकर सारी संभावनाए टटोल रहा था. सोचते हूए अचानक उसके दिमागमें एक आयडीया आ गया.
वह झटसे अलेक्सकी तरफ मुडते हूए बोला, '' अलेक्स जल्दीसे इधर आ जाओ ''
उसका चेहरा एक तरहकी चमकसे दमक रहा था.
अलेक्स एक्सरसाईज करते हूए रुक गया और कुछ इंटरेस्ट ना दिखाते हूए धीमे धीमे उसके पास आकर बोला, '' क्या है ?... अब मुझे ठिकसे एक्सरसाईज भी नही करने देगा ?''
'' अरे इधर मॉनिटरपर तो देखो ... एक सोनेका अंडा देनेवाली मुर्गी हमें मिल सकती है ..'' अतूल फिरसे उसका इंटरेस्ट जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
अब कहा अलेक्स थोडा इंटरेस्ट लेकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगा.
तभी चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा और उपर खिसक रहा विवेकका और एक मेसेज उन्हे दिखाई दिया,
"" अरे बापरे!.. '' तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?... नही ... मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. ... ''
उसके बाद तुरंत अंजलीने भेजा हूवा रिस्पॉन्सभी अवतरीत हूवा -
'' 23 साल''
'' देख तो यह हंस और हंसिनी का जोडा... यह हंसीनी एक सॉफ्टवेअर कंपनीकी मालिक है ... मतलब मल्टी मिलीयन डॉलर्स...'' अतूल अपने चेहरेपर आए लालचभरे भाव छूपानेका प्रयास करते हूए बोला.
तेभी फिरसे चॅटींग विंडोमें विवेकका मेसेज अवतररीत हूवा,
'' अरे यह तो मुझे पताही था... मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था.... सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो ... तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी... ''
अलेक्सने उन दोनोंके उस विंडोमें दिख रहे सारे मेसेजेस पढ लिए और पुछा, '' लेकिन हमें क्या करना पडेगा ?''
'' क्या करना है यह सब तुम मुझपर छोड दो ... सिर्फ मुझे तुम्हारा साथ चाहिए '' अतूल अपना हाथ आगे बढाते हूवा बोला.
'' कितने पैसे मिलेगे ?'' अलेक्सने असली बातपर आते हूए सवाल पुछा.
'' अरे लाखो करोडो में खेल सकते है हम '' अतूल अलेक्सका लालच जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
'' लाखो करोडो?'' अलेक्स अतूलका हाथ अपने हाथमे लेते हूए बोला, '' तो फिर मै तो अपनी जानभी देनेके लिए तैयार हूं ''
तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें अंजलीका मेसेज अवतरीत हूवा , '' तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?...''
उसके पिछेही विवेकका जवाब चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा, '' मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें ... मेरी असली उम्र डाली हूई है ...''
'' 23 साल... बहूत नाजुक उम्र होती है ... मछली प्यारके जालमें फसकर कुछभी कर सकती है '' अतूल अजिब तरहसे मुस्कुराते हूए बोला.
क्रमश:
Writing wasn easy to start. After I finally did it, I realized it was the most direct contact possible with the part of myself I thought I had lost, and which I constantly find new things from.
---- Virpi Hॊmeen-Anttila
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