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Hindi Novel - अद्-भूत : Ch-7 : रोनाल्ड पार्कर

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रोनाल्ड पार्कर, उम्र पच्चीस के आसपास, स्टायलीस्ट, रुबाबदार, अपने बेडरुमें सोया था. वह रह रहकर बेचैनीसे अपनी करवट बदल रहा था. इससे ऐसा लग रहा था की आज उसका दिमाग कुछ जगहपर नही था. थोडी देर करवट बदलकर सोनेकी कोशीश करनेके बादभी उसे निंद नही आ रही थी यह देखकर वह बेडसे उठकर बाहर आ गया, इधर उधर एक नजर दौडाई, और फिरसे बेडपर जाकर बैठ गया. उसने बेडके बगलमें रखा एक मॅगझीन उठाया और उसे खोलकर पढते हूए फिरसे बेडपर लेट गया. वह उस मॅगझीनके पन्ने, जिसपर लडकियोंकी नग्न तस्वीरे छपी थी, पलटने लगा.

सेक्स इज द बेस्ट वे टू डायव्हर्ट यूवर माईंन्ड ...

उसने सोचा. अचानक दुसरे कमरेसे 'धप्प' ऐसा कुछ आवाज उसे सुनाई दिया. वह चौंककर उठ बैठा , मॅगॅझीन बगलमें रख दिया और वैसीही डरे सहमे हालमें वह बेडसे निचे उतर गया.

यह कैसी आवाज .....

पहले तो कभी नही आई थी ऐसी आवाज... .

लेकिन आवाज आनेके बाद मै इतना क्यो चौक गया...

या हो सकता है आज अपनी मनकी स्थीती पहलेसेही अच्छी ना होनेसे ऐसा हूवा होगा...

धीरे धीरे इधर उधर देखते हूए वह बेडरुमके दरवाजेके पास गया. दरवाजेकी कुंडी खोली और धीरेसे थोडासा दरवाजा खोलकर अंदर झांककर देखा.

सब घरमें ढुंढनेके बाद रोनाल्डने हॉलमें प्रवेश किया. हॉलमें घना अंधेरा था. हॉलमेंका लाईट जलाकर उसने डरते हूएही चारो तरफ एक नजर दौडाई.

लेकिन कुछभीतो नही...

सबकुछ वहीका वही रखा हूवा ...

उसने फिरसे लाईट बंद किया और किचनकी तरफ निकल पडा.

किचनमेंभी अंधेरा था. वहांका लाईट जलाकर उसने चारोतरफ एक नजर दौडाई. अब उसका डर काफी कम हो चूका था. .

कहा कुछ तो नही ...

इतना डरनेकी कुछ जरुरत नही थी... .

वह पलटनेके लिए मुडनेही वाला था की किचनमें सिंकमें रखे किसी चिजने उसका ध्यान आकर्षीत किया. उसकी आंखे आश्चर्य और डर की वजहसे बडी हूई थी. एक पलमें इतने ठंडमेंभी उसे पसिना आया था. हाथपैर कांपनए लगे थे. उसके सामने सिंकमें खुनसे सना एक मांसका टूकडा रखा हूवा था. एक पलकाभी समय ना गंवाते हूए वह वहा से भाग खडा हूवा. क्या किया जाए उसे कुछ सुझ नही रहा था. गडबडाये और घबराये हूए हालमें वह सिधा बेडरुममे भाग गया और उसने अंदरसे कुंडी बंद कर ली थी.


क्रमश:...

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