हवेलीके सामने कुंएके इर्दगिर्द अब सायमनके पिता, माता और बाकी दुसरे गाववाले लोग इकठ्ठा हूए थे. लडकेके पिताने और बाकी लोगोंने साथमें बडेबडे रस्से लाये थे. वे अब अंदर उतरनेके लिए रस्सा कुंवेमें छोडने लगे. इतनेमें वहा एक बुढा आदमी आगया. पता नही कहांसे आया? वह लडकेके पिताके पास गया और उसके कंधे जोरजोरसे झंझोरकर उसे चेतावनी देते हूए बोला, '' ऐसा पागलोंकी तरह कुछ मत करो... तुम्हे पता नही... अबतक इस कुंवेमें उतरा हूवा कोईभी अबतक वापस आया नही है ...''
सायमनके पिताने उस बुढेकी तरफ एक नजर डाली और उसको अनदेखा करते हूए अपना रस्सा अंदर छोडनेका काम जारी रखा. बुढा अपना कोई नही सुन रहा है यह देखकर वहांसे चला गया.
उस कुंएके इर्दगिर्द जमा हूए लोगोंने कुएमें रस्सा छोडा और सायमनके पिता वह रस्सा पकडकर कुंएमें उतरने लगे. वे उतरते समय रस्सेका एक सिरा कुंएके बाहर, बाकी लोगोंने पक्का पकडा हूवा था और जैसे जैसे सायमनके पिता कुंएमें निचे उतर रहे थे वे रस्सा धीरे धीरे निचे छोडने लगे.
पहला रस्सा खतम हूवा इसलिए कुंएके बाहर खडे लोगोंने अंदर छोडे रस्सेको और एक रस्सा जोडकर बांध दिया और फिरसे थोडा थोडा रस्सा अंदर छोडने लगे. धीरे धीरे दुसरा, तिसरा, चौथा और पांचवा ऐसा करते हूए सारे रस्से खतम हूए. अब उनके पास बांधनेके लिए और रस्सा नही बचा था.
अचानक रस्सा निचे छोडते हूए उस रस्सेको एक झटका लगा और रस्सेकी तन्यता एकदम खत्म होगई. जो लोग जोर लगाकर रस्सेको पकडकर थे वे पिछे पत्थरोंके ढेरके पास निचे गिर गए. वे तुरंत, झटसे खडे होगए और डर और आश्चर्यके भावसे एकदूसरेकी तरफ देखने लगे.
'' क्या हूवा ?''
'' रस्सा टूट तो नही गया ?''
उनमेंसे एकने कुंएमें छोडा रस्सा हिलाकर अंदर सायमनके पिताको इशारा करनेकी कोशीश की. लेकिन अंदरसे कोई प्रतिसाद नही था.
धीरे धीरे कुंएके इर्द गिर्द गांवके और लोग जमा हो गए. कुछ लोग अबभी अंदर कुंएमें छोडा हूवा रस्सा हिलाकर सायमनके पिताके इशारेका इंतजार कर रहे थे तो कुछ लोग कुंएमें अंदर झुककर देख रहे थे. अंदर किसीके होनेका कोई चिन्ह नही दिख रहा था, सिर्फ काला काला अंतहीन खालीपन दिख रहा था. वहां जमे लोग संभ्रमसे एकदूसरेकी तरफ देख रहे थे. उन्हे अब आगे क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था.
सायमनकी मां को अंदर कुंएमें क्या हूवा होगा इसका अंदाजा वहां आसपास जमे लोगोंके डरसे म्लान हूए चेहरे देखकर अच्छी तरह से हो गया था. इतनी देरसे धीरजसे काम लेनेवाली सायमनकी मां आखरी टूट गई और फुटफुटकर रोने लगी. कुछ गांवकी औरते, जो वहां जम गई थी, उसको समझा बुझानेकी कोशीश करने लगी.
सायमन और सायमनके पिता गुजर जानेसे गांवमें माहौल काफी दुखी था. सायमनके पिता गुजर गए थे और उनका पार्थीवभी नही मिला था और मिलनेके कोई आसारभी नजर नही आ रहे थे. लोगोंने सायमन और उसके पिता इनके शवके प्रतिकके तौर पर दो पत्थर उनके घरके सामने रखे थे. बडा पत्थर यानी सायमनके पिता और छोटा पत्थर मतलब सायमन. गांवके लोग उस दो पत्थरोंके इर्दगिर्द जमा हो गए थे. उन पत्थरोंकी उन्होने मट्टी और राख लगाकर पुजा की और पत्थरोंको दो छोटे छोटे कपडेके टूकडेसे ढक लिया. लडकेकी मां यानीकी उस आदमीकी पत्नी अब सिसक सिसककर रोने लगी थी.
भिडमेंसे चार लोग अब उन पत्थरोंके पास आगे गये. उन्होने मानो वे सायमन और उसके पिताका शव हो इस तरह बडी सावधानीसे उनको उठाकर कंधेपर लिया. उन पत्थरोंको कंधेपर लेतेही सायमनकी मां उठ खडी होगई और फिरसे जोर जोरसे रोने लगी. उसके आसपास जमी महिलाओंने उसे समाझा बुझाकर शांत करनेकी कोशीश की.
वे चार लोग अब उन पत्थरोंको कंधेपर उठाकर उनके अंत्यविधीके लिए जंगलकी तरफ रवाना हो गए. रोती हूई सायमनकी मां और गांवके बाकी जमा हूई भीड उन लोगोंके पिछे पिछे जाने लगी. सबसे पिछे भारी मनसे गिब्सनभी उस भिडके पिछे पिछे जंगलकी तरफ जाने लगा.
क्रमश:...
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